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guru purnima 2022 : गुरु पूर्णिमा का महत्व। क्यो मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?


guru purnima 2022 : गुरु पूर्णिमा का महत्व। क्यो मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?

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भारत विभिन्नताओं से भरा देश हैं। जिसमें अपने मनोभावनाओं को व्यक्त करने के लिए अलग-अगल त्योहार और पर्व है।
सभी धर्मों कि अलग-अगल मान्यता होती है, जैसे कि हिंदू मंदिर जाते हैं, सिख गुरूद्वार जाते हैं, मुस्लिम लोग अपने मस्जिद और ख्रिश्चन लोग चर्च जाते हैं। इन लोगों कि अपने-अपने धर्म की देवी देवताओं को पूजने का अपना-अपना तौर-तरीका है लेकिन फिर भी एक ऐसी चीज है जिन्हें यह सब एक साथ मानते हैं, पूजते है और वो है गुरु। 

गुरु पूर्णिमा (guru purnima 2022) को इस साल में 5 जुलै को रविवार के दिन आषाढ़ शुक्ल पक्ष में चंद्रग्रहण के समय में मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा का महत्व  (guru purnima 2022):


गुरु पूर्णिमा (guru purnima 2022) के नाम ही इसका अर्थ है कि गुरु के लिए समर्पित और पौर्णिमा का अर्थ किसी भी भाव या कार्य को समर्पित करता है। जिसका मतलब है कि उसमें कुछ भी अधूरा ना हो और उसमें सभी गुणों का और भावों का समावेश हो।

गुरु को संस्कृत के प्रसिद्ध श्लोक में परम ब्रह्मा बताया है:

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

इसका साधारण भाषा में अर्थ है कि गुरु को ब्रम्हा, विष्णु और महेश का साक्षात रुप माना गया है और हम उनके समक्ष गुरु को पुर्ण आदर के साथ नमन करते हैं।

भारतीयों की संस्कृति में गुरु का स्थान भगवान के तुल्य माना जाता है या कहें कि गुरु को ही भगवान का रुप माना गया है। गुरु ही आपके जीवन में से अंधकार और अज्ञानता मिटाता है और वह हमें इस लायक बनाते हैं कि हम जिवन को सही दिशा में और सही अर्थ के साथ जी पाएं।

शास्त्रों में कहाँ हैं कि अगर ईश्वर आपको श्राप दे तो गुरु आपकी रक्षा कर सकतें हैं परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते। गुरु ही हमें इस संसाररुपी भवसागर को पार करने में मदद करते हैं।

गुरु पूर्णिमा क्यो मनाई जाती है / (hindi guru purnima):

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गुरु पूर्णिमा (guru purnima 2022) पुरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा-आराधना की जाती है। महर्षि वेदव्यास को समस्थ मानवजाति का गुरु माना जाता है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पौर्णिमा को लगभग 3000 ई.पू. में हुआ था। उनके सम्मान के लिए ही आषाढ़ शुक्ल में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। और इस दिन सभी अपने गुरु के प्रति सम्मान और आदर प्रकट करते हैं।
गुरु पूर्णिमा (guru purnima 2022) जो कि महाभारत के रचियता कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का जन्मदिन भी है। वह बहुत बड़े विद्वान थे। महर्षि वेदव्यास ने ही सभी 18 पुराणों कि रचना की है। महर्षि वेदव्यास के सम्मान के लिए गुरु पूर्णिमा (guru purnima) को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

ब्रम्हांड के सबसे पहले शिव हैं गुरु:

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पुरानों के अनुसार भगवान शिव को सबसे पहला गुरु माना गया है। क्योंकि परशुराम और शनि देव भगवान शिव के ही शिष्य हैं और भगवान शिव के द्वारा ही हमारी धरती पर सभ्यता और धर्म का प्रचार किया है। इसलिए भगवान शिव को आदि गुरु, आदि देव और आदिनाथ भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा पर्व तिथि और मुहूर्त (guru purnima 2022 ):


गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 जुलाई 2022  (सुबह 11 बजकर 33 मिनट से)
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 जुलाई 2022 (सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक)



गुरु पूर्णिमा (guru purnima) पर ऐसे करें पूजा:


गुरु पूर्णिमा (guru purnima 2022) के दिन प्रातःकाल सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें।

फिर अपने माता-पिता जो कि सबसे बड़े गुरु है उनके पैर छू कर आशीर्वाद ले। 

सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं और ॐ भास्कराय नमः मंत्र का एक माला जप करें।

भगवान विष्णु, शिव और ब्रम्हां की पूजा करने बाद महर्षि वेदव्यास की पूजा करें। इसके बाद अपने गुरु की पूजा करें और दान करें इसके बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।


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